दर्द की बेइंतहा।
सवैया छंद में एक औरत की कहानी।
एक ।
औरत बैठी।
ख़ामोश लिए आक्रोश।
दबी जुबान।
से।
नहीं।
बोल फूटते।
जब दो आंखें।
निहारती उसको
घूरकर।
पेट।
में भूख।
माथे पर जख्म।
शरीर में।
सिरहन।
वो।
फिर से।
पास आकर हाथ।
के स्पर्श से।
बहकाएगा।
देकर।
दर्द बेइंतहा ।
गोद में जबरदस्ती।
एक भूख।
तड़पेगी।
आंखों ।
से नीर।
बह निकला था।
सारा आक्रोश।
खत्म।
#नीलम गुप्ता (नजरिया) दिल्ली
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
07-Sep-2021 01:48 PM
Nice
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Gunjan Kamal
07-Sep-2021 01:06 PM
बेहतरीन प्रस्तुति मैम
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Renu Singh"Radhe "
07-Sep-2021 11:57 AM
Nice
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